Monday, July 28, 2014

समकोण त्रिभुजों का शंकु है कयानात

बन गयी है रवायत सर झुकाकर रहने की
सर की हां में हां मिलाकर अपनी बात कहने की
सर की बात सदा प्रतिध्वनित करने की
यही है मूलमंत्र छोटे सर से शुरुआत करने की
भूल जाते हैं जो अभागे हेकड़ी में यह मूलमंत्र
दूर ही रखता है उन्हें यह त्रिशंक्व ज्ञानतंत्र
झुकाकर सर सर भी मिलाते हैं हां में हां
बड़े सर होते हैं जब भी कभी वहां
बड़े सर भी रहते हैं झुकाकर सर
मिलते हैं जब कभी और बड़े सर
चलता है सिलसिला सर-सरों का
सबसे बड़े और छोटे-बड़े बड़ों का
नहीं समझ पाता यह साक्षात बात
समकोण त्रिभुजों का शंकु है कयानात
(ईमिः29.07.2014)

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