Chandra Bhushan Mishra गाफिल जी, आपने बुला ही दिया, आखिर. चुनाव के पहले से ही दिन में कम-से-कम एक और कभी कभी अधिक बार कहता आ रहा है कि लोग कहेंगे सुमंत मोदिया गया है, लेकिन अभी तक किसी ने कहा नहीं, और न ही अभी तक जमानत पर रिहा भाजपा अध्यक्ष की निगाह में अभी तक यह बात आई. लेकिन नर हो न निराश करो मन को. यह वैसे बताया कि ऐसा क्या कह दिया कि सिंधुघाटी विहार ले जाने वाले मोदी जी उन्हें आधुनिक घाघ लगने लगे? गुजरात जैसा कृषि विकास जिसमें किसानों के प्रतिरोध को राष्ट्रहित मे कुचलते हुए औने पौने दामों में अडानियों-अंबानियों-टाटाओं को दे दिया और बची जमानों में इतनी उपज बढ़ गयी कि खुशी से हजारों किसानों ने खुदकुशी कर ली और स्लिम बनने के चक्कर हर तीसरा बच्चा कुपोषित. सीलिंगऐक्ट और लैंड-यूज ऐक्ट में तो अटल जी ने ही कारपोरेटी बदलाव शुरू कर दिया था साम्राज्यवाद की वफादारी में उनके प्रतिद्वंदी मनमोहन ने उसे आगे बढ़ाया, मोदी जी उसे तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे. कितना भी कर लो मैं तो नहीं कहूंगा सुमंत मोदिया गया है.
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