कॉमरेड Bhagwan Prasad Sinha जी एक पोस्ट पर कॉमरेड Ish Mishra जी की इन तीन कमेन्ट पर आप क्या कहेंगे?
(1) "आपके विश्लेषण से लगभग सहमत हू। ज्योति वसु को प्रधानमंत्री न बनने को ब्लंडर की बात के अलावा। एक राज्य में 25 साल से अधिक मुख्यमंत्री रहकर जब कोई मिसाल नहीं कायम कर सके, तो प्रधानमंत्री बन कर कौन सी तोप मार लेते। चुनावी संख्याबल को जनबल में तब्दील कर सके होते तो वह संख्याबल भाजपा में न जाता। "
(2) " पार्टी ने यदि शिक्षक की भूमिका निभाया होता और सामाजिक चेतना का जनवादीकरण किया होता तो चुनावी संख्याबल जनबल बनता और वह फिर संख्याबल बन मौकापरस्त न होती।"
(3) "यदि सिंगूर-नंदीग्राम टाल सकते तो ममता न आती। दरअसल सीपीएम तथा अन्य बुर्जुआ पार्टियों में कोई गुणात्मक फर्क नहीं रह गया था।"
मुझे लगता है कि इश मिश्रा जी की बात में दम तो है।
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