यदि कोई आपसे पूछता है कि भाषा की तमीज मां-बाप से सीखा याकहीं और से? और आपको अपनी भाषा की तमीज समुचित लगती है तो उस तमीज का श्रोत बताने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। मैं बहुत सीनियर हूं लेकिन किसी की उम्र पर तंज करना कमानगी मानता हूं, क्योंकि पैदा होने के बाद सबकी उम्र प्रतिदिन बढ़ती रहती है। आप जिसकी उम्र पर लतंज करते हैं स्वयं भी कभी उसकी उम्र में पहुंचेंगे। मैं तो अपने पिताजी के चरणस्पर्श करता था था तर्क में कोई रियायत नहीं देता था। विचारों की स्वतंत्रता के लिए बीएससी के दूसरे वर्ष से उनसे पैसा लेना बंद कर आत्मनिर्भर हो गया था। यह इसलिए बता रहा हूं कि तर्क में सीनियार्टी की रियायत नहीं चाहता, लेकिन बेहूदगी बर्दाश्त करने की शक्ति कम है तो ऐसा न करने का आग्रह जरूर करता हूं। तथ्य-तर्कों के आधार पर बहस कीजिए, भाषा की बदतमीजी करेंगे तो कोई ऐसा न करने का आग्रह करे तो मान लेना चाहिए। शुभ कामनाएं।
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