Markandey Pandey इतिहास गतिमान है और और अपने गतिविज्ञान के नियम खुद बनाता है। संवैधानिक जनतंत्र के पहलेभारत औपनिवेशिक राज्य था तथा उपनिवेवादियों एवं उनके कारिंदों के लिए औपनिवेशिक कानूनों का पालन भारतीयता थी तथा उपनिवेशविरोधियों के लिए, राष्ट्रीय आंदोन के प्रतिप्रतिबद्धता भारतीयता थी। उसके पहले भारतीयता महज भौगोलिक और सभ्यतामूलक अवधारणा थी, राजनैतिक रूप से रजवाड़ों के प्रति वफादारी ही राजनैतिक निष्ठा थी।
Markandey Pandey बचपन से तो हमको भी वही समझाया गया था जो आपको, मैं आत्मावलोकन, आत्मालोचना एवं आत्मसंघर्ष से विरासती मिथ्याचेतना की अफीम के असर से मुक्ति पा ली, लेकिन लगता है कामचोरी की आदत के चलते आपने मिथ्या चेतने के भ्रम से मुक्ति का प्रयास नहीं किया तथा शाखा के बौद्धिक में प्राप्त अफवाहजन्य कुज्ञान के दलदल में फंसे रह गए। विवेक को गतिमान कीजिए, इस दलदल से निकल पाएंगे।
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