एससी-एसटी ऐक्ट तथा दहेज उत्पीड़न विरोधी कानूनों पर एक विमर्श में एक सज्जन ने कहा कि मेरा ज्ञान किताबी है, कभी फंसूंगा तब समझ आएगा। उस पर:
हम लगातार सिद्धांत और व्यवहार में एकता का प्रयास करते हैं। जब लोगों के पास तर्क नहीं होता तो किताबी ज्ञान की बात बताकर सैध्दांति औचित्य को खारिज करने का ऐसा ही कुतर्क करते हैं। आपको किसी स्त्री ने दहेज या यौन उत्पीड़न के या किसी दलित ने एससी-एसटी ऐक्ट के झूठे मामले में फंसाया क्या? इन कानूनों के डर से इन अपराधों में कमी आई है। फर्जी मामलों की जांच करना तथा गलत मुकदमा करने वालों को दंडित करना प्रशासन और न्यायालय का काम है। प्रशासनिक या न्यायिक प्राधिकरण की अक्षमता की जिम्मेदारी अपराध निवारक कीनूनों की नहीं है।
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