कुछ लोग अक्सर मेरी उम्र पर अवमाननापूर्ण तंज करते हैं। अस्तित्व और अंत के अंतःसंबंधों के बारे में प्रकृति की द्वंद्वात्मकता का एक नियम है कि जिसका भी अस्तित्व है, उसका अंत अवश्यंभावी है, चाहे बचपन, जवानी, बुढ़ापा और जीवन सबका। जन्म कुंडली के हिसा से मैं जून 1955 ( मां के शब्दों में बड़की बाढ़ के पहले) पैदा हो गया था तो आगामी जून में 66 साल का हो जाऊंगा। अभी दिमाग ठीक-ठाक काम करता है और याददाश्त भी ठीक-ठाक है। जो लोग अभी अपेक्षाकृत कम उम्र के हैं वे दिन-ब-दिन ज्यादा के हो जाएंगे। बुढ़ापा वैसे भी मात्रात्मक इकाई नहीं, गुणात्मक अवधारणा है, संकीर्ण पोंगापंथी प्रवृत्ति के चलते कुछ का 25-30 में ही आ जाता है तथा वक्त से आगे चलने वाले मेरी तरह के लोगों का कभी आता ही नहीं। उम्र का तंज करने वाले लोगों को कुछ आत्मावलोकन करना चाहिए कि मुझसे बाद पैदा होने के बावजूद कहीं मुझसे बहुत पहले ही बुड्ढे तो नहीं हो गए।
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