हमारा पौराणिक काल विभाजन ऐतिहासिक न होकर मिथकीय है। सभी समाज प्रगतिपथ पर नीचे से ऊपर चढ़ते हैं हमारा पौराणिक कालक्रम ऊपर (सतयुग) से नीचे (कलियुग) अधोगमन करता है। सतयुग भी ऐसा कि उसमें गाय-भैंस की तरह इंसानों की खरीद-फरोख्त की खुली बाजार थी, तभी तो राजा हरिश्चंद्र खुद के साथ अपने बेटे और बीबी को बेच सके थे।
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