असमानता की विकट समस्या का समाधान जवाबी असमानता नहीं, समानता है, उसी तरह जैसे जातिवाद की भीषण समस्या का समाधान जवाबी जातिवाद नहीं, जातिवाद का विनाश है। लोग यदि समता के अद्भुत सुख की गरिमा समझ लें तो लिंग-जाति-धर्म आदि पर आधारित भेदभाव की समस्या अपने आप समाप्त हो जाएगी।
समानता एक गुणात्मक अवधारणा है, मात्रात्मक नहीं। असमानता के विचारक भिन्नता को असमानता के रूप में परिभाषित करते हैं और फिर घुमावदार तर्क(कुतर्क) का इस्तेमाल करते हुए उसी परिभाषा से असमानता प्रमाणित करते हैं। पांचों उंगलियां भिन्न होती हैं असमान नहीं, भौतिक असमानता वैसे ही है जैसे आपसे लंबा आदमी आपसे श्रेष्ठ नहीं है। महाभारत की पौराणिक कथा में द्रोणाचार्य को एकलब्य की आकार में सबसे छोटी अंगुली अंगूठा ही सबसे अधिक खतरनाक लगा था।
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