आज हम फिर शाहीन बाग गए थे, धरना स्थल पर नमाज नहीं पढ़ा जा रहा है, न ही किसी को मंच से धार्मिक बात कहने दिया जा रहा है। आज जब हम पहुंचे तो मजाज की नज्म पढ़ी जा रही थी, माथे पर आंचल खूब है लेकिन परचम बना लेती तो अच्छा था। शाहीन बाग एक विचार बन शहर शहर फैल रहा है। मैंअभी मुजफ्फरपुर के शाहीन बाग (मारीपुर) में बोलकर आया हूं। आंदोलन को बदनाम करनेकी कोशिसें शुरू से हो रही हैं, अब बिरियानी और 500 रु की बात कोई नहीं करता। साथी इस आंदोलन ने सरकार और संघ परिवार के सब समीकरण गड़बड़ कर दिए हैं, इसको बदनाम करने की सभी कोशिसें की जाएंगी, हमें सजग रहना है, मैंने समयांतर के अपने लेख में लिखा है कि यह एक नया नवजागरण है. एक नई नारी चेतना के परचम तले.... हम नास्तिकता अभियान अलग से चलाएं अभी इस जंग में ताकत लगाने की जरूरत है। मेरी पत्नी बहुत धार्मिक हैं, रोज घंटा भर पूजा करती हैं, लेकिन शाहीन बाग की भी समर्थक हैं। मंच से न नमाज पढ़ी जा रही है न ही भजन गाया जा रहा है, संविधान पढ़ा जा रहा है। इस आंदोलन में व्यापक फासीवाद विरोधी आंदोलन की संभावनाएं हैं।
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