60 नहीं 70 दिन से विरोधी सड़क पर थे किसी का जीवन दुस्वार नहीं था, लोग साथ थे और हैं, किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। दंगों की सियासती रोटी खाने वालों ने तब भी फिरकापरस्ती का जहर फैलाकर इसे हिंदू मुस्लिम नरेटिव में फिट कर ध्रुवीकरण की कोशिस की. दिल्ली की जनता ने उल्लू बनने से इंकार कर दिया। शांतुपूर्ण आंदोलन को भाजपाई दंगाइयों ने एक दिन में हिंसक बना दिया। बेरोजगारी, मंहगाई, आर्थिक विकास की दुर्गति चरम पर है, धर्मोंमादी देशद्रोही दंगों से ध्यान भटकाकर हिंदू-मुस्लिम नरेटिव में फिट कर मुल्क में आग लगाने में सफल होते दिख रहे हैं। अब बिहार चुनाव तक हिंदू खतरे में रहेगा। इस मंच के बौद्धिक दंगाई मुल्क में लगी दंगाई आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि बिहार की जनता भी दिल्ी की जनता की तरह परिपक्वता दिखाएगी और मुल्क के टुकड़े-टुकड़े करने की गिरोह की साजिश को नाकाम करेगी।
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