व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास की कुंजी है आत्मालोचना, समाज के विकास की कुंजी है आलोचनात्मक दृष्टिकोण से अपने इतिहास की विवेचना। गांधीवादी न होने के बावजूद मुझे गांधी की कई बातें अच्छी लगती हैं। गांधी ने सभ्यताओं का विश्लेषण पश्चिमी-पूर्वी के नहां आधुनिक- प्राचीन के अर्थों में किया। विचारों का कोई देश नहीं होता। पितृसत्ता नष्ट करने का मतलब परिवार नष्ट करना नहीं होता परिवार की मर्दवादी प्रवृत्ति नष्ट करना होता है, परिवार का जनतांत्रिककरण होता है। कबीलाई मानसिकता है कि जो भी हमारा रहा है वह श्रेष्ठ रहा है हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए। इसी कबीलाई तर्क पर तिलक जैसे कई मनीषियों ने सती, बाल विवाह आदि कुरीतियों के विरुद्ध कानूनों का विरोध किया था। 1988 में देवराला सतीकांड के मुद्दे पर भैरव सिंह शेखावत जैसे आरएसएस के महापुरुष ही नहीं प्रभाष जोशी जैसे पत्रकारों ने भी परंपरा के नाम पर देवराला कांड की हिमायत की थी। जो व्यक्ति आत्मालोचना नहीं करता जड़ बना रहता है जो समाज अपने इतिहास के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि नहीं अपनाता वह जड़ता का शिकार होता है।
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