शाहीनबाग में गोलीबारी के लिंक पर एक सज्जन ने पूछा इतनी आजादी किसी और देश के अल्पसंख्यक को मिलती है, जैसा शाहीन बाग में हो रहा है, उस पर:
शाहीन बाग को अमित शाह और पूरी भक्त मंडली हिंदू-मुसलमान नरेटिव में फिट करनेन की पूरी कोशिस कर रही है लेकिन अभी तक नाकाम है, वहां गैर-ुुमुस्लिम बहुसंख्या में हैं। एक लंगर पंजाब के सिख किसानों ने लगाया है, दूसरा हरियाणा की छत्तीस बिरादरी ने। हर रोज दूर दूर के हजारों लोग वहां पहुंच रहे हैं। मैं भी मित्रों के साथ 5-6 बार जाचुका। वहां लाइब्रेरी है, कला-कॉर्नर है, किताबोंकी दुकान खुल गयी है। महिलाएं गाती भी हैं पढ़ती भी हैं। यह नारी चेतना का नवजागरण हैं जो देश भर में फैल रहा है, इलाहाबाद-लखनऊ-मुंबई-पुणे हर जगह। हिंदू-मुसलमान, औरत-मर्द से ऊपर उठकर इंसान के रूप में सोचिए तो समझ आएगा, शाहीन बाग। हम कल अपने संगठन (जनहस्तक्षेप) के साथ समूह में जाएंगे पोस्टर लगाएंगे, पर्चे बांटेंगे। रात में पर्चा लिखना है। सांप्रदायिक पूर्वाग्रह हमें विवेकशील इंसान नहीं बनने देते। सवर्ण दुर्भाग्य से इस रोग के सबसे अधिक शिकार हैं। सादर।
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