Sunday, February 23, 2020

मार्क्सवाद 203 (आदिवासी विस्थापन)

Raj K Mishra आदिवासियों का विस्थापन एक निरंतर प्रक्रिया है, आधुनिक युग में उनके दुर्भाग्य से उनकी जमीनों के नीचे खनिजों काखजाना है जो दुनिया के कॉरपोरेटी धनपशुओं को चाहिए। 1907 में टाटा स्टील उद्योग के लिए स्थापित जमशेदपुर (टाटानगर) के विस्थापित कहां गए कुछ पता नहीं, कितनों का पुनर्वास हुआ? आजादी के तुरंत बाद दामोदर घाटी परियोजना के विस्थापितों का अभी तक पुनर्वास नहीं हो सका। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कैमूर (उप्र, बिहार), उड़ीसा के आदिवासी क़रपोटी लालच की लूट के विरुद्ध अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ज्यादा प्रतिरोध करने पर नक्सलाइट बनाकर मार दिए जा रहे हैं, जेलों में ठूंस दिए जा रहे हैं। एक वीडियो वायरल हुआथा जिसमें पुलिस उपस्थिति में अडानी पॉवर का अधिकारी झरखंड के आदिवासी किसानं को धमकी देते दिख रहा हैकि जमीन न खाली करने पर उसी जमीन में उन्हें जिंदा दफन कर दिया जाएगा।

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