कई लोग कई बार पूछते हैं, इस पर लिखते हैं, इस पर क्यों कलम नहीं चलती? उठो सीता लिखते हैंआयशा पर क्यों नहीं, वगैरह वगैरह ...
जो लिखा है उस पर बात कीजिए, जो नहीं लिखा है उस पर आप लिखिए, मैं कमेंट करूंगा। पाकिस्तान के लिए वामपंथी नहीं संघी और मुसंघी जिम्मेदार हैं। मैंने बहुतों पर नहीं लिखा है, एक जीवन जितना पढ़ना-लिखना चाहते हैं उसके लिए नाकाफी है। ओसामापर भी लिखा हूं, मुहम्मद और आयशा पर भी. आरएसएस और जमाते इस्लामी पर 1987 का लेख कई बार शेयर किया हूं उसमें मुहम्मद के 9 साल की आयशा से शादी का जिक्र है। अजीब बांगड़ूपमन है जो लिखा है उस पर बात करने की बजाय जो नहीं लिखा है उस पर लिखनेका आदेश आप ही नहीं तमाम लोग देते रहते हैं। मैं सीता को जानता हूं उसपर लिखता हूं आयशाको जानने वाले उस पर लिखेंगे। तर्क यह है कि जो लिखा है उसकी विवेचना हो जो नहीं लिखा है वह क्यों नहीं लिखा है, कुतर्क है। इस बारे में मैंने एक पोस्ट डाला है कि लिखे पर बात करनेकी बजाय न लिखे का कारण पूछने लगते हैं लोग। मैं तो जो आप लिखते हैं उसी पर कमेंट करता हूं, यह नहीं पूछता, इस पर क्यों नहीं लिखते? हर आदमी अपनी सीमाओं मेंही काम कर सकता है। आशा है अब से जो लिखते हैं उसी पर सवाल पूंछेंगे, जो नहीं लिखते उस पर नहीं। सादर। जो मैं नहीं लिख पाता उस पर आप लिखें और राय मांगे यदि जानकारी होगी तोे राय दूंगा। तुष्टीकरण की बात कीजिए तो बताइए कौन कैसे किसका तुष्टीकरण कर रहा है? सादर।
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