15 दिसंबर को जामिया विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी नमेंपुलिस द्वारा अपने आपराधिक उपद्रव का सबूत मिटाने के लिए सीसीटीवी कैमरे तोड़ने का एक ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया, उस पर एक सज्जन ने आधी कहानी कहने का आरोप लगाया, उस पर मैंने कहा:
बहुत कुछ लिखा जा चुका है, सीसीटीवी तोड़ने का क्यामतलब है? पुलिस खुद जानती है वह आपराधिक काम कर रही है, इसीलिए सबूत नहीं छोड़ना चाहती। यह बख्तियार खिलजी का राज है क्या कि सरकार लाइब्रेरी नष्ट करना चाहती है?अपराधियों की सरकार की पुलिस अपराधी गिरोह सी ही होगी।
तो उन्होंने कहा मैं हमेशा एक पक्षीय बयान देता हूं, उस पर:
इसमें द्विपक्षीयता तो अपराध का साथ देना होगा। वैसे भी मैं समाजशास्त्र में पक्षधरता का हिमायती हूं, अन्याय के विरुद्ध न्याय की पक्षधरता।
फिर उन्होंने कहा,
"जब किसी उपद्रवी को कोई बचाता है तो वह भी उसी श्रेणी में हो जाता है।पुलिस अपने काम को कर रही है।" उस पर:
हमारे छात्र उपद्रवी नहीं, जिम्मेदार नागरिक होते हैं। पुलिस की अपराधिक कृत्य की पक्षधरता अपराधिक मानसिकता का द्योतक है। लाइब्रेरी में बिना अनुमति के घुसकर तोड़-फोड़ उपद्रव है, उपद्रवियों का सबूत मिटानेके लिए पुलिस सीसीटीवी कैमरे तोड़ रही है। पुलिस का काम सीसीटीवी कैमरेसे उपद्रव का सबूत जुटाना होता है, सबूत मिटानेके लिए कैमरे तोड़ना नहीं।
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