कुछ लोग बात-बेबात वाम-वाम करने लगते हैं, पूछने पर वाम क्या होता है तो इधर-उधर करने लगते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक सज्जन से पूछ दिया तो कहने लगे कि वे तुच्छ मानव हैं तथा मेरे जैसे संपूर्ण ज्ञान वाले के समक्ष वे ज्ञान प्रदर्शन नहीं करना चाहते, उस पर:
सर्वज्ञ कोई नहीं होता, न कोई अंतिम ज्ञान होता है, ज्ञान एक निरंतर प्रक्रिया है। बात ज्ञान प्रदर्शन की नहीं है, हम जिस शब्द या अवधारणा का बारंबार प्रयोग करें उसके बारे में न्यूनतम, प्रामाणिक जानकारी हासिल कर लेना चाहिए, मैं तो कई बातें अपनी बेटियों से भी सीख लेता हूं, कई छात्रों से। मैंने एक बार वामपंथ पर विमर्श शुरू किया था। यहां तुच्छ-उच्च मानव की बात नहीं है। राजनैतिक अर्थशास्त्र और राजनैतिक दर्शन मेरे विषय रहे हैं तो थोड़ा-बहुत पढ़ा हूं। कई विषयों में मेरा ज्ञान लहृगभग शून्य है, जैसे जीवविज्ञान। कई अन्य क्षेत्रों में भी कुछ नहीं जानता। एक जीवनकाल इंसान जितना पढ़ना चाहता है उसके लिए नाकाफी है। इसलिए प्रथमिकताएं तय कर लेना चाहिए।
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