Wednesday, January 8, 2020

लल्ला पुराण 329 (वाम काभूत)

मैंने आपको सड़क छाप नहीं कहा, कूटने-काटने की सड़क छाप गुंडे-मवालियों की भाषा से परहेज करने की सलाह दी, ऐसी भाषा एक शिक्षक को शोभा नहीं देती। सलाह मानना न मानना आपके विवेक पर है। मेरी बात जब भी अतार्किक या कुतार्किक लगे, इंगित कीजिए, यदि ऐसा है तो माफी मांग लूंगा। यदि कोई वाम के अंत की घोषणा करता है और वाम वाम करता रहता है तो वह मृत के भूत से भयभीत हो अभुआता ही है। भूत से पीड़ित व्यक्ति की पुकार को हिंदी में अभुआना ही कहा जाता है। वाम वाम चिल्लाने वाला वाम क्या होता है के सवाल पर आंय-बांय बके तो उसे भजन गाना कहना सम्मानजनक भाषा होती है। सादर।

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