जनसंदेश के संपादक सुभाष राय को जन्मदिन की बधाई देने में यह लिखा गया।
जन्मदिन की कोटिशः बधाइयां, सर्जक सक्रियता के साथ दीर्घायु की कामना। आप वास्तविक जन्मतिथि के अनुसार मुझसे 5 महीने बड़े निकले लेकिन मानी तो कागज की जाएगी, उसके अनुसार मैं आपसे 2 साल 11 महीना बड़ा हूं। उस जमाने में गांवों में जन्मदिन मनाने का रिवाज नहीं था, इसलिए जन्मकुंडली वाली विक्रम कैलेंडर की जन्मतिथि मालुम थी, रोमन कैलेंडर की नहीं। 2 कक्षाओं की कुदाई ( प्रि-प्रराइमरी यानि अलिफ [गदहिया गोल] से कक्षा 1 तथा कक्षा 4 से 5) के चलते1964 में मैंने 9 साल में ही प्राइमरी कर लिया। मेरे दादाजी (बाबा) पंचांग के ज्ञाता माने जाते थे उनकी सुंदर लिखावट के नमूने के तौर पर जन्मकुंडली संभाल कर रखा हूं। उस जमाने में आपको याद हो तो हाई स्कूल की परीक्षा की न्यूनतम आयु 15 वर्ष थी, 1 मार्च 1969 को 15 साल का करने के लिए बाबू साहब (हेड मास्टर बासदेव सिंह) के मन में 1954 फरवरी की जो भी तारीख (3) दिमाग में आई लिख दिया। मेरे पिताजी फैल गए कि लोग तो 2-3 साल कम लिखाते हैं और उन्होने मेरी डेढ़ साल ज्यादा लिख दिया? बाबू साहब के समझाने पर वे मान गए। उन दोनो की वार्तालाप से पता चला कि मेरी पैदाइश 1955 की होगी। बहुत दिनों बाद (जेएनयू में एमए करते हुए) देखा कि जन्मकुंडली के नीचे 26 जून 1955 लिखा था। तब से जन्मदिन मनाने लगा। एमफिल के दौरान तीनमूर्ति लाइब्रेरी में 1955 के हिंदी अखबारों से इसकी तस्दीक कर लिया।
आपको जन्मदिन की बधाई के लिए कमेंट लिखना शुरू किया और अपनी कहानी लेकर बैठ गया। एक बार फिर से जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई।
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