Saturday, January 4, 2020

लल्ला पुराण 327 (भगवान)

वामपंथ का मर्सिया पढ़ने वाले कुछ लोग बात-बेबात वाम वाम करने लगते हैं, मैंने एक पोस्ट पर वाम के भूत से पीड़ित होने की बात की तो एक सज्जन ने कहा भूत कीबात नास्तिक का विरोधाभास है, वगैरह, उस पर --
किसी बात का मजाक उड़ाना भी उसके नकार की एक साहित्यिक विधा है। खोजते रहिए खुर्पी टॉर्च लेकर विरोधाभास। एक बार (27 साल पहले)मेरी पत्नी ने कहा मैं भगवान को नहीं मानता इसीलिए गड़बड़ होता है, मैंने उनसे कहा था कि भगवान इतना चिरकुट है कि मेरे जैसे अदना ऴ्यक्ति से बदला लेने आ जाता है तो उसकी और ऐसी-तैसी करूंगा जो करना हो कर ले। अब इस बात से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों तो आपकी जिम्मेदारी है। सारे आस्तिक अपनी कमजोरी छिपाने के लिए नास्तिकों को आस्तिक साबित करने लगते हैं। जिन्हें अपने आत्मबल का भरोसा होता है उन्हें किसी अगवान-भगवान की बैशाखी की जरूरत नहीं होती। मंटो ने लिखा है, 'खुदाकभी माफ नहीं करता, खुदा से भी बड़ा है, सआदत पसन मंटो'। सादर। गुड बाय। कुछ भी हो जाए हिंदू-मुसलिम बाइनरी का जहर दिमाग से नहीं निकल सकता। इस्लाम का भजन गाने की बजाय कभी कभी दिमाग लगाना सेहत के लिए ठीक रहता है।

No comments:

Post a Comment