Friday, January 3, 2020

लल्ला पुराण 324 ( प्यार की स्तंत्रता)

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक ग्रुप में राष्ट्रवाद पर मेरी एक पोस्ट पर निजी आक्षेप से विमर्श विकृत करने वाले कुछ बजरंगियों के कमेंट पर एक कमेंट :

हर लड़के-लड़की को प्यार करने का अधिकार है, हमारे बेटे-बेटियां मूर्ख नहीं हैं कि कोई उन्हें बहका ले जाएगा। मैंने अपनी बेटियों से कभी नहीं कहा कि जाति-धर्म देखकर प्यार करना तो हमें उनके चुनाव को मानना ही पड़ेगा, न मानकर भी क्या कर लेंगे? ऑनरकिलिंग? मैं तो बेटी की शादी के एक सप्ताह पहले तक अपने होने वाले दामाद की जाति नहीं जानता था सिर्फ इतना जानता था कि एक शरीफ बालक है। शादी का मामला निजी है उसमें किसी भी बहाने सरकार या किसी संगठन का हस्तक्षेप संविधान का उल्लंघन और घोर अमानवीय अपराध है। आपकी बेटी को किसी ईशाई, मुसलमान या बौद्ध से प्यार हो जाए तो आप क्या करेंगे, लव जेहाद रोकने के नाम पर हत्या? व्यक्तित्व की प्रवृत्तियां जन्मजात नहीं होती वरना एक ही मां-बाप के सारे बेटे-बेटियां एक जैसे होते। मैं और मेरे बड़े भाई धुर विरोधी विचारों के हैं। गोंडा में दंगा कराने की नीयत से चोरी से गोहत्या करते पकड़ा गया दीक्षित तो मुसलमान नहीं है तो क्या सारे ब्राह्मणों या दीक्षितों को गोहत्यारा मान लिया जाय? वैसे आपकेमेंट का दूसरा हिस्सा अनायास विषयांतर है और मेरा जवाब भी। एडमिन चाहें तो दोनों कमेंट डिलीट कर सकते हैं।

04.01.2018

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