Deepak Tiwari सीएए के विरोध का एक कारण तो यही है कि यह धर्संमनिरपेक्षता की मूल भावना का उल्लंघन है तथा इसका मकसद रोदी-रोटी, आर्थिक मंदी, धनपशुओं की लूट जैसे मूल मुद्दों से ध्यान भटकाकर हिंदू-मुस्लिम नरेटिव से फिरकापरस्ती का जहर फैलाकर, संस्कृति और समाज के चुकड़े-टुकड़े करते हुए चुनावी ध्रुवाकरण जारी रखना है। आप धार्मिक-जातीय पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर इस पर विचार करें तो समझ आ जाएगा।
Deepak Tiwari इसके पहले भी धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक ताकतें कश्मीरी अल्पसंख्यकों के लिए बोलते रहे हैं-लिखते रहे हैं, आप अपनी दुनिया बढ़ाएं। हमारा छोटा सा मानवाधिकार संगठन है, जनहस्तक्षेप, अस्तित्व में आने (1992) के बाद हमारी पहली रिपोर्ट कश्मीरी पंडितों पर थी। मेरे मित्रों और छात्रों में कश्मीरी पंडितों की काफी संख्या है अब भी हजारों पंडित घाटी में बेखौफ रह रहे हैं। पंडितों के पलायन में संघी-मुसंघी आतंकवादियों की मिलीभगत रही है। पलायन बाद में शुरू हुआ, जगमोहन ने शिविर पहले बनवा दिए थे। सरकार ने पलायन रोकने की बजाय प्रोत्साहित किया। मुलमान अपने पड़ोसी पंडितों की वापसी चाहते हैं, दिल्ली-मुंबई-.. में बेहतर जिंदगी जी रहे पंडित वापस नहीं जाना चाहते। यदि गए तो भक्तों के भजन का एक स्थाई विषय कम हो जाएगा।
Deepak Tiwari इसके पहले भी धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक ताकतें कश्मीरी अल्पसंख्यकों के लिए बोलते रहे हैं-लिखते रहे हैं, आप अपनी दुनिया बढ़ाएं। हमारा छोटा सा मानवाधिकार संगठन है, जनहस्तक्षेप, अस्तित्व में आने (1992) के बाद हमारी पहली रिपोर्ट कश्मीरी पंडितों पर थी। मेरे मित्रों और छात्रों में कश्मीरी पंडितों की काफी संख्या है अब भी हजारों पंडित घाटी में बेखौफ रह रहे हैं। पंडितों के पलायन में संघी-मुसंघी आतंकवादियों की मिलीभगत रही है। पलायन बाद में शुरू हुआ, जगमोहन ने शिविर पहले बनवा दिए थे। सरकार ने पलायन रोकने की बजाय प्रोत्साहित किया। मुलमान अपने पड़ोसी पंडितों की वापसी चाहते हैं, दिल्ली-मुंबई-.. में बेहतर जिंदगी जी रहे पंडित वापस नहीं जाना चाहते। यदि गए तो भक्तों के भजन का एक स्थाई विषय कम हो जाएगा।
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