एक ग्रुप में फैज की नज्म को हिंदू-विरोधी बताने वाली एक बहस में मैंने एक लिंक शेयर किया जिसमें भूमिका के साथ कविता की व्याख्या की गई है। एक शिक्षक सज्जन ने कहा यहां वंदे मातरम् गाया जाना चाहिए। मैंने कहा वह गाइए लेकिन फिरकापरस्ती का जहर न फैलाइए, उन्होंने कहा वंदेमातरम् को फिरकापरस्ती का जहरकहने वाले से शिक्षक होने की नसीहत नहीं लेना है, उस पर:
शिक्षक की बजाय फिरकापरस्त भक्त बने रहना पसंद है तो बने रहिए। कम-से-कम पूरा वाक्य पढ़ें। बंदे मातरम् को फिरकापरस्ती का जहर नहीं कहा गया है, कहा गया है बंदेमातरम् गाइए लेकिन फिरकापरस्ती का जहर न फैलाइए। बाकी आपकी गलती नहीं है, यदि आधे-तिहाई शिक्षक भी शिक्षक होने का महत्व समझ लेते तो आधी क्रांति वैसे ही हो जाती, ज्यादातर अभागे हैं महज नौकरी करते हैं। उनकी भी गलती नहीं होती ज्यादातर की प्राथमिकता शिक्षक बनना होती नहीं सब जगहों से खारिज होने के बाद मजबूरी में शिक्षक बन जाते है। कृपया अपने ऊपर न लें। सादर।
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