सांप्रदायिकता धार्मिक नहीं राजनैतिक विचारधारा है, धर्म के चंगुल से राजनीति की मुक्ति यूरोपीय नवजागरण के प्रमुख संदेशों में से एक था। औपनिवेशिकशासकों ने 1857 की क्रांति की पुनरावृत्ति रोकने के लिए बंटो-राज करो की नीति के तहत भारतीय आवाम को 'धार्मिक नस्लों' के रूप में परिभाषित करना शुरू किया और उन्हें प्रमुख धार्मिक समुदायों में राष्ट्रीय आंदोलन तथा राष्ट्रीय पहचान को कमजार करने की मुहिम में वफादार मुहरे मिल गए जिन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद को अनैतिहासिक धार्मिक- हिंदू तथा मुस्लिम -- राष्ट्रवाद के रूप में परिभाषित करना शुरू किया। कहीं, किसी जाति या धर्म विशेष में पैदा होनेमें किसी का कोई हाथ नहीं है, वह तो एक जीववैज्ञानिक संयोग का परिणाम है, इसलिए उसमें गर्व या शर्म की कोई बात नहीं होनी चाहिए। गर्व या शर्म, क्रमशः अपनी उपलब्धियों या गलतियों पर होना चाहिए।
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