Wednesday, May 13, 2015

विचार

मैं मर नहीं सकता
क्योंकि मैं विचार हूं
मारते रहे हो तुम मुझे उस समय से
अमीर-ओ-गरीब का निज़ाम बना जबसे
लेकिन मैं तो कभी मरा नहीं
वैसे ही जैसे कभी डरा नहीं
न भगवान से और न भूत से
डरते तो तुम हो
मेरे खौफ की बौखलाहट में
तुम बार बार कत्ल करते हो मुझे
लेकिन मैं हूं कि मरता ही नहीं
क्योंकि मैं विचार हूं.

मारते रहे हो तुम मुझे
जब से मैंने होश संभाला
लेकिन मैं हूं कि मरता ही नहीं
क्योंकि मैं विचार हूं
जब मैं सुकरात था
हो खौफ़जदा मुझसे तुमने फैलाया  धर्मोंमाद
और कत्ल कर दिया मुझे पिलाकर जहर
जैसे मार रहे हो आज हिंदुस्तान के किसानों को
लेकिन मैं तो मरा ही नहीं
क्योंकि मैं विचार हूं
मर नहीं सकता
ज़िंदा हूं धरती के करोड़ों इंसानों में
सुनते हैं जो सुकरात की तरह विवेक की आवाज़
और ज्ञान को सद्गुण मानते हैं
लगा देते हैं जान की बाजी सत्य के लिए
इसीलिये तुम डरते हो मुझसे
क्योंकि तुम डरते हो इतिहास से
बार बार कत्ल करते हो मुझे सत्ता के हथियारों से
लेकिन मैं मरता नहीं, कभी न मरा कभी न मरूंगा
क्योंकि मैं विचार हूं
बन मंसूर जब मैंने उठाया इंसाफ की
मैं मरा नहीं और जारी है जंग-ए-इंसाफ
मैं मरूंगा भी नहीं
मैं विचार हूं
था जब गैलीलियो और किया शौर्यमंडल की सच्चाई की बयान
कत्ल कर दिया मुझे टांगकर गिलोटिन पर
लेकिन मैं तो मरा ही नहीं, मरूंगा भी नहीं
मैं तो विचार हूं
लंबी है फेहरिस्त तुम्हारी कातिली की
और मेरे न मरने की
जब बन भगत सिंह ललकारा लूट के निज़ाम
ले सहारा अदालत-ए-नाइंसाफी
मार दिया था फांसी पर लटकाकर
हाहाकार मच गया अंग्रेजी साम्राज्य में
ओर मैं तो मरा नहीं
क्योंकि मैं विचार हूं
ग्राम्सी और चे के साथ भी तुमने यही किया
विचारों का सिलसिला बढ़ता गया
सीखते नहीं तुम कुछ इतिहास से
मारते जा रहे हो मुझे लगातार
बढ़ता ही जा रहा है मेरा आकार
क्योंकि मैं मरता ही नहीं
मरूंगा भी नहीं
मैं तो विचार हूं
अजर और अमर
अनादि ओर अनंत
(ईमिः 14.05.2015)


2 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति आदरणीय। बहुत ही सुन्दर।

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