लिखना है ख़ौफ़ के खात्मे की कविता
निर्भय हो साहस से लड़ने की कविता
ऐसे वक़्त में जब हो रहा हो सोच पर प्रहार
सुरक्षा के लिए खतरा घोषित हों जायें विचार
सुननी ही होगी मुक्तिबोध की आतुर पुकार
उठाने ही होंगे अभिव्यक्ति के खतरे लगातार
(ईमिः14.05.2015)
शानदार पंक्तियाँ
ReplyDeleteशुक्रिया
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