बताया तो हमें यह भी गया था कि
मां ममता के साथ त्याग की भी मूर्ति होती है
और मान लिया था यह बात देखकर दादी-ओ-मां के अाचरण
लेकिन समझ नहीं आती थी यह बात
बिना कुछ खास किये क्यों दुखता है बाबू जी का ही पांव
और भोर से ही जाता-चक्की से शुरू दौड़-भाग के बावजूद
बची रहती थी मां में ऊर्जा बाबू जी का पैर दबाने की
मां भी तो कभी थकती होगी ऐसा मैं सोचता था
लेकिन बाबूजी को नहीं देखा कभी मां का पैर दबाते हुये
और भी बहुत कुछ बताया गया था
जो भी जैसे जैसे असंगत लगने लगीं
बिसराता गया विरसे की हिदायतें
कभी एक एक करके तो कभी एक साथ
मुझे नष्ट कर पाते विरासत के संस्कार
उससे पहले ही नष्ट कर दिया मैंने उन्हें ही
(ईमिः 04.05.2015)
मुझे नष्ट कर पाते विरासत के संस्कार
ReplyDeleteउससे पहले ही नष्ट कर दिया मैंने उन्हें ही
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय।
Thanks
Delete