नंदिता (डूटा अध्यक्ष) के साथ खड़े
हम लड़ेंगे साथी
गाते हुये पाश का गीत
हम बेखौफ मुखालिफ हैं निजाम-ए-खौफ़ के
डरते तो तुम हो
हो ख़ौफ़ज़दा हमारी नाडरी से
छुप कर करते हो कुटिल कातिलाना वार
आजमाते हो सत्ता के सारे मारक हथियार
लेकिन कुर्सी की मदांधता में
जानकर भी नहीं मानते हो यह साश्वत सत्य
कि हम तो मर ही नहीं सकते
हम तो विचार हैं
(ईमि: 230.05.2015)
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21-05-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1982 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
THANKS
Deleteसुन्दर सटीक और सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारें
thanks
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