Sunday, May 24, 2015

दस्तक

जब भी चाहो आ सकते हो ज़िंदगी में
जब चाहो जा सकते हो ज़िंदगी से
अपन को तो बस दरकार है
आने की एक हल्की दस्तक की
और जाने की अलविदा की एक मुसकराहट 
हल्की सी.
(ईमिः24.05.2015)

2 comments:

  1. मोदी से कहा है ना ये तुमने ?

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    1. हा हा उसकेलिये कोई जगह नहीं है

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