Saturday, May 30, 2015

क्लारा ज़ेटकिन की कविता

क्लारा ज़ेटकिन की कवता(शिखा अपराजिता की वाल से) 

"Those who reap the crops and bake the bread are hungry.
Those who weave and sew cannot clothe their bodies.
Those who create the nourishing foundation of all culture waste away, deprived of knowledge and beauty."

का अनुवाद

भूखे रह जाते हैं वे लोग
जो खून-पसीना एक करके फसल उगाते हैं
वे भी जो भट्ठी के ताप में रोटी पकाते हैं 
नहीं मयस्सर होता उनको तन ढकने को कपड़ा
जो कपड़ा बुनते हैं
उनको भी जो सिलकर उसे वस्त्र बनाते हैं
ज्ञान तथा सौंदर्य से वंचित हो जाते हैं वे सब
रखते हैं जो बुनियाद संस्कृतियों की
वे भी जो खड़ी करते हैं उनपर अट्टालिकायें
(अनुवाद – ईश मिश्र)

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