हिंद-ओ-पाक की खतरनाक सियासत
है अंग्रेजी सल्तनत की लहूलुहान विरासत
मुल्क बेचती सरकारें सीमा के दोनों ओर
बहकातीं आवाम मचाकर राष्टरवाद का शोर
हो खतरा जब कुर्सी का रचतीं मिलकर दोनों युद्ध सा हाल
बेंच सकें हथियोरों के सौदागर जिससे दोनों को अपना माल
मोदी और मुशर्रफ गले मिलें अमरीका में
सजदे दोनों साथ करें चक्रवर्ती की सभा में
करता जो विरोध आवाम के विरुदध इस जंग का
रा्ष्ट्रवाद के नाम पर कर दिया जाता नज़रेजिंदा
समझेंगी ही इन भेड़ियों की चाल औलादें हमारी
ख़ाक़ हो जायेंगी छल-फरेब की बस्तियां सारी
नहीं रहेगा दुनियां में कोई युद्धोंमाद
सभी दिशाओं में गूंजेगा इंकिलाब ज़िंदाबाद
(ईमिः11.05.2015)
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें. कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeletethanks
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