प्रकृति संरक्षण की सावित्री वट पूजा जैसे सारे पर्व पति के लिए पत्नी के व्रत वाले ही क्यों हैं? पत्नी के लिए पति के व्रत के किसी व्रत की कोई परंपरा क्यों नहीं है? मर्दवाद (लिंग आधारित भेदभाव) कोई जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं है, बल्कि एक विचाराधारा है जो हमारे नित्य-प्रति के क्रिया-कलापों, पर्व-त्योहारों एवं विमर्श में निर्मित-पुनर्निर्मित एवं पुष्ट होती है। विचारधारा उत्पीड़क और पीड़ित दोनों को प्रभावित करती है। केवल पुरुष को ही नहीं लगता कि रसाई संभालने, बच्चे पालने और पति की देखभाल का दायित्व स्त्री का होता है, स्त्री को भी ऐसा ही लगता है। बेटा के संबोधन को बेटी भी साबाशी के रूप में ही लेती है।
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