Thursday, June 17, 2021

शिक्षा और ज्ञान 315 (1857)

 1857 पूर्वनियोजित किसान क्रांति थी, नियत समय के पहले धार्मिक कारणों से रायफल की कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी होने की खबर से रायफल विरोध के विद्रोह ने योजना बाधित किया। इसके बावजूद किसानपुत्र सैनिकों और किसानों के क्रांतिकारी जज्बे ने औपनिवेशिक शासन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। आवामी एकता के बलबूते क्रांति की सफलता की दुंदुभि बजने ही वाली थी कि शासकवर्गों के कई राजघराने (सिंधिया, निजाम, पटियाला, ,,,,,,,) अपनी सेना के साथ क्रांति के विरुद्ध अंग्रेजों के पक्ष में खड़े हो गए। भारतीय सामंती शासक वर्गों ने अपने किसानों की आजादी की बजाय अंग्रेजों की गुलामी चुना और जनता के उन गद्दारों के वंशज देशभक्ति के ठेकेदार बन गए हैं। यदि सिंधिया सरीखे रजवाड़े औपनिवेशिक शासकों की दलाली में क्रांति के साथ गद्दारी न करते तो 100 साल पहले औपनिवेशिक लूट खत्म हो गयी होती और हिंदुस्तान का इतिहास अलग होता।

17.06.2020

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