107 जन्मदिन
परसों 25 जून को रात 11.40 बजे सिर पर घुंघराले घने बालों वाली 35-36 साल पुरानी तस्वीर के साथ 26 जून शुरू होने यानि 66 वर्ष का हो जाने से 20 मिनट पहले से ही जन्मदिन की बधाइयों की चाहत जाहिर करते, यह सोचकर पोस्ट डाल दिया कि सुबह एक छोटा सा विवरण लिखूंगा। वैसे मुझे पोस्ट डालने की जरूरत नहीं थी क्योंकि फेसबुक तो वैसे ही जन्म दिन की सार्वजनिक घोषणा कर देता है। जेएनयू में मेरे लोकल गार्जियन रह चुके, अग्रज अनिल चौधरी (Anil Chaudhary समेत कई मित्रों ने फेसबुक से मेरी किसी तस्वीर के साथ लेकिनं चाय-नाश्ते के बाद से ही मित्रों और छात्रों के इतने फोन आने लगे कि फुर्सत ही नहीं मिली और फिर इमा (छोटी बेटी) और विकास लंच पर आ गए तथा फोनों का सिलसिला फिर शुरू हो गया। अनिल ने जेएनयू के पुराने छात्रों के जमावड़े के ग्रुप फोटो के साथ बधाई की पोस्ट शेयर किया उनका बहुत बहुत आभार। जन्मदिन की सूचना की पोस्ट के अलावा फेसबुक मेमरी से जितनी तस्वीरें शेयर किया सभी पर बधाइयों की भरमार हो गयी। सभी का बहुत बहुत आभार। जेएनयू के सहपाठियों, हिंदू कॉलेज और डीपीएस के मित्रों, पत्रकारिता दिनों के तथा प्रेस क्लब के मित्रों के अलावा बहुत से फेसबुक मित्रों ने भी इनबॉक्स और आउट बॉक्स में बधाइयां दीं। सभी का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं। वैसे दस्तावेजों में दर्ज मेरी अधिकारिक जन्मतिथि 3 फरवरी है, जिसके अनुसार मैं फरवरी 2019 में नौकरी से रिटायर हो गया। सही जन्मतिथि (26 जून 1955) लिखी होती तो मैं जून 2020 में रिटायर होता, लेकिन कोई पछतावा नहीं। वैसे पहली बार मैंने जन्मदिन 25 साल का होने पर मनाया। बचपन में उस समय गांवों में जन्मदिन मनाने का रिवाज नहीं था। मुझे जन्मकुंडली वाली विक्रम कैलेंडर की जन्मतिथि (आषाढ़, कृष्णपक्ष दशमी, संवत 2012) मालुम थी, रोमन कैलेंडर की नहीं। प्राइमरी 2 कक्षाओं की छलांग ( प्रि-प्रराइमरी यानि अलिफ [गदहिया गोल] से कक्षा 1 तथा कक्षा 4 से 5) के चलते1964 में मैंने 9 साल में ही प्राइमरी कर लिया। मेरे दादाजी (बाबा) पंचांग के ज्ञाता माने जाते थे उनकी सुंदर लिखावट के नमूने के तौर पर जन्मकुंडली संभाल कर रखा हूं। उस जमाने में हाई स्कूल की परीक्षा की न्यूनतम आयु 15 वर्ष थी, 1 मार्च 1969 को 15 साल का करने के लिए बाबू साहब ( हमारे प्राइमरी स्कूल हेड मास्टर बासदेव सिंह) के मन में 1954 फरवरी की जो भी तारीख (3) दिमाग में आई लिख दिया। मेरे पिताजी फैल गए कि लोग तो 2-3 साल कम लिखाते हैं और उन्होने मेरी डेढ़ साल ज्यादा लिख दिया? बाबू साहब के समझाने पर वे मान गए। उन दोनो की वार्तालाप से पता चला कि मेरी पैदाइश 1955 की होगी। बहुत दिनों बाद (जेएनयू में पढ़ते हुए) देखा कि जन्मकुंडली के पीछे 26 जून 1955 लिखा था। तब से जन्मदिन मनाने लगा। तीनमूर्ति लाइब्रेरी में माइक्रोफिल्म पर पुराने अखबार पढ़ने के दौरान 1955 के हिंदी अखबारों से इसकी तस्दीक कर लिया। उन दिनों के हिंदी अखबारों में विक्रम और शक संवत की भी तारीखों छपती थीं। तभी से हर साल २६ जून को जन्मदिन मनाता रहा। जश्न की कुछ अड्डेबाजियों तो अविस्मरणीय हैं। मेरी तस्वीरों, मित्रों की बधाई पोस्टों और इनबाक्स में अनगिनत बधाइओं की भरमार हो गयी। इतना प्यार पाकर मेरा दिल गार्डन-गार्डन हो गया. जिनकी बधाई पर अलग से आभार नहीं जता सका उनसे क्षमा-प्रार्थना के साथ हार्दिक आभार। मेसेज बॉक्स की आधे से अधिकबधाइयों का निजी आभार व्यक्त कर सका, बाकियों का अब एक साथ। कुछ मित्रों/स्टूडेंट्स ने बधाई के लिए फोन किया। सबका हार्दिक आभार। बाकी फिर।
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