यूरोप के नवजागरण आंदोलन का एक जनतांत्रिक आयाम यह था जन्मगत सामाजिक भेदभाव समाप्त कर दिया था, नए भेदभाव पैदा कर दिए थे, वह अलग विमर्श का मुदादा है। प्रबोधन क्रांति ने उसे पुख्ता कर दिया था। इसी लिए कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो में मार्क्स-एंगेल्स ने लिखा कि पूंजीवाद ने सामाजिक विभाजन को सरल कर समाज को पूंजीपति और सर्वहारा वर्गों मेंबांट दिया है। भारत में कबीर के साथ शुरू नवजागरण, ऐतिहासिक कारणों से, अपनी तार्किक परिणति तक नहीं पहुंच सका। सामाजिक क्रांति का यह अधूरा एजेंडा भी कम्युनिस्ट आंदोलन के जिम्मे था, जिसे अंबेडकर ने उठाया। भारत में शासक जातियां ही शासक वर्ग रही हैं। इस बात को कम्युनिस्ट पार्टियों और अस्मितावादियों दोनों ने नजरअंदाज किया। अब सामाजिक न्याय और आर्थिक न्याय के आंदोलनों को ्लग अलग चलाने का समय नहीं है। अस्मिता की राजनीति की लामबंदी सामाजिक चेतना के जनवादीकरण यानि वर्ग चेतना के प्रसार के रास्ते का सबसे बड़ा अवरोधक बन गया है। इसे तोड़ने का रास्ता जेएनयू के छात्रों ने दिखाय़ा दोनों को मिलाकर जय भीम-लाल सलाम का नारा दिया। जयभीम के दक्षिणपंथी विचलन को नजर अंदाज कर उसके जातिवाद विरोधी क्रांतिकारी आयाम को लाल सलाम के साथ मिलाने की जरूरत है।
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