इतिहास गवाह है कि पुरातन व्यवस्था के खंडहरों पर नवीन का निर्माण होता है, जैसे दास प्रथा के खंडहर पर बना सामंती व्यवस्था का भवन लगभग 2000 साल बाद पूंझीवाद की आंधी में ढह गया जिसके खंडहरों पर खड़ा हुई पूंजीवाद की इमारत 500 साल पुरानी हो गयी है। यह ऐतिहासिक युगों की बाते हैं, जहां तक विध्वंसक लंपटों की बात है वे कुछ नया निर्माण करने में असमर्थ हैं इसलिए निर्मित को तोड़ते हैं वह कहीं भी निर्मित हो चाहे पुराने की जगह चाहे नई जगह। जो नया शहर नहीं बसा सकते वे पहले से बसे का नाम बदलकर रचनाशीलता का पाखंड करते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment