Sunday, February 18, 2018

नीरो (संपादित)

नीरो
बड़े वसूक से लिखा था नीरो का मर्शिया
लेकिन अब तो अक्सर दिखाई देता है
हमेशा ही नीरो बजाता है बांसुरी
इतिहास में जलता है जब भी कोई रोम
नीरो का मर्शिया क्यों लिखता है शायर?
कौन था वह और कहां दिखाई देता है?
नीरो कौन था इसकी कहानी बताता हूं
दिखाई तो आज जहर जगह देता है
नीरो पहली शताब्दी में रोम का एक सम्राट था
शान-ओ-शौकत और क्रूरता का मिशाल था
रहते थे नतमस्तक दरबारी, क़ाजी और सेनापति
वाह-वाही करते थे दानिशमंद आलिम और वजीर
बनाना चाहा उसने रोम में एक अभेद्य किला
सोचा उसने शहर खाली कराने का अचूक तरीका
वफादार कारिंदों ने कर दिया शहर आग के हवाले
खुद मना रहा था पिकनिक दूर शहर से
जलता रहा रोम छः दिन और सात रात
तमाम लोग और घर-बार जलकर हो गए खाक
धू-धू कर जब रोम जल रहा था
नीरो चैन से बांसुरी बजा रहा था
हो गया जब शहर जल कर खाक़
नीरो करने लगा मातमी विलाप
किया तुरंत उसको सूचित विश्वस्त सूत्रों ने
शहर को आग सगाया ईशाई अल्पसंख्यकों ने
किया नीरो ने ईशाइयों के दोषद्रोह का ऐलान
और जारी सामूहिक सजा-ए-मौत का फरमान
मौत की हो ऐसी सूरत
करे न कोई विधर्मी दुबारा ये जुर्रत
भर कर उन्हें जानवर की खाल में कुत्तों के आगे फेंक दिया
देखने को तमाशा-ए-मौत उत्सव का आयोजन किया
सारे हाकिम-हुकुम और जाने-माने लोग मेहमानों में शामिल थे
सुरा-सुराही के परिवेश में नेचत-गाते तमाशा देख रहे थे
मौत के इस सर्कस में घिरने लगा जब रात का अंधेरा
जला कर जिंदा बाकियों को रौशनी का इंतज़ाम किया
ज़ुल्म बढ़ता है तो बढ़ता ही जाता है
मगर मिट जाता है जब हद करता है
समझ के रोमवासी उसकी यह बर्बर चाल
आवाम ने बनाया एकता की ढाल
ताकतवर हो कितना भी कोई भी तनाशाह
आवामी एकता की ताकत होती अथाह
देख उमड़ता जनसैलाब नीरो का होश उड़ गया
डर कर अपने आप से खुदकुशी कर लिया
लग रही होगी आपको यह परिचित कहानी
 होते रहे हैं नीरो और करते रहे हैं खुदकुशी
बात नहीं है सिर्फ नीरो की
तमाशबीनों की भी कमीनगी कम नहीं।
(
कलम की लंबी आवारगी काफी वक़्त खा गई)
(19.02.2017)



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