Shailendra Singh बाल्मीकि के शूद्र होने की बात ब्राह्मणो द्वारा फैलाई गयी किंवदंति है, जैसे कालिदास के मूर्खता की किंवदंतियां। जी, वर्णाश्रम की शुरुआत तार्किक श्रम विभाजन के रूप में हुई। कालांतर में ब्राह्मणों ने परजीवी वर्गों (सवर्ण) की प्रिविलिजेज अगली पीढ़ियों को हस्तांतरित करने और श्रमजीवियों की अधीनता को स्थाईभाव देने के लिए इसे जन्मजात बना दिया। यह काम अत्रेय ब्राह्मण की रचना तक (लगभग 1000 ईशापूर्व) हो चुका था। बुद्ध के समय तक जन्म आधारित वर्णाश्रम गहरी जड़ें जमा चुका था, बुद्ध का विद्रोह इसी विकृति के विरुद्ध था।
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