अर्थ ही मूल है। गाय-गोबर में लोगों को फंसाकर यह यह जुमलेबाज नफरेंद्र उनके टुकड़ों का लखटकिया पहनकर मुल्क को कॉरपोरेटों को लुटाता रहा, 2019 तक कंगाल करते भाग जाएगा, अपने पालक धनपशुओं ललित और नीरव मोदी की तरह जो इसके लिए पहले से यूरोप-प्रवास का इंतजाम कर दिये होंगे। सत्ता से बेदखल होते ही इसकी और इसके लिए सीचियाबाजदी करने वाले तड़ीपाप की फाइलें खुलेंगी ही, भक्त दिमागी अंधा होता है, उसकी आंखें नहीं खुलेंगी।
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