समाज में बुराइयां हैं, इसे सब जानते-मानते हैं। मेहनतकश 10,000 की औसत दिहाड़ी में आधा-चौथाई पेट खाकर गुजारा कर रहा है भाजपा का सांसद विजय माल्या 11 हजार लेकर भाग गया मोदी के पालक धनपशुओं में उनकी विदेश यात्राओं का साथी नीरव मोदी कुछ लोग कह रहे हैं 21 हजार करोड़ लेकर भाग गया। उत्तरप्रदेश की पुलिस हत्यारों का गिरोह बन गयी है। हत्या-बलात्कार रोजमर्रा की बात है। समाज में बुराई है सब मानते हैं, जो न माने उलकी समझ और संवेदनशीलता बुराइयों का समर्थक है। अगर भगवान है तो 3 संभावनाएं हैं: 1. वह बुराई दूर तो करना चाहता है, लेकिन कर नहीं सकता, तो कैसा सर्वशक्तिमान? 2. दूर करने में सक्षम है लेकिन करना नहीं चाहता, यह तो दुष्टता है। 3. न करना चाहता है न कर सकता है, दुष्टता और शक्तिहीनता का संगम।
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