Shailendra Gaur सहमत। सवाल-दर-सवाल; जवाब-दर-सवाल ही विकास का मूलमंत्र है, सर्वज्ञ फतवेबाजी नहीं। कई सवाल सवाल नहीं होते, मानसिक संरचना की अभिव्यक्ति होती है। इनका यह सवाल नहीं अज्ञानतापूर्ण ज्ञान है। किसी भी देश का मार्क्सवादी उस देश के मजहब का शत्रु माना जाता है। इऱफान हबीब (इतिहासकार) पर मुसंघियों के अनंत हमले हुए। पाकिस्तानी शायर हबीब जालिब ने ज्यादा वक्त जिया की जेलों में बिताया। वाम के भूत से संघी-मुसंघी दोनों परेशान रहते हैं। 'न मेरा घर है खतरे में, न तेरा घर है खतरे में/वतन को कुछ नहीं खतरा, निजाम-ए-जर है खतरे में'। 'बहुत सुन ली आपकी तकरीर मौलाना, बदली नहीं मगर मेरी तकदीर मौलाना/हकीकत क्या है ये तो आप जानें या खुदा जाने, सुना है जिम्मी कार्टर आपका है पीर मौलाना'। 'हिंदुस्तान भी मेरा है, पाकिस्तान भी मेरा है/दोनों मे ही लेकिन अमरीका का डेरा है'। (जालिब) हर समझदार व्यक्ति युद्धविरोधी है और अपने देश की जंगखोरी की सरकार के लिए देशद्रोही। जंग चाहता जंगखोर, ताकि राज कर सके हरामखोर। अफवाहजन्य इतिहास बोध से उपजी अफवाहगोई देश की अखंड़ता और सामासिक एकता के लिए खतरनाक होता है।
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