जी इसे मैंने अगली कड़ी के लिए छोड़ा है। यथार्थ की संपूर्णता में प्रथमिकता पदार्थ की है, सापेक्ष अहमियत। यह संपूर्ण जैविक है। यह द्व्ंद्वात्मक युग्म रासायनिक मिश्रण नहीं योगिक (कंपाउंड) है। मनुष्य के पास प्रजाति-विशिष्ट गुणों में एक है कल्पना शक्ति। वास्तुकार भवन की रूप-रेखा पहले कल्पना में तैयार करता है, फिर उसे कागज पर उतारता है, फिर जमीन पर। राइट ब्रदर्स के दिमाग में उड़ने का विचार दृष्टव्य उड़नशील पदार्थों (पक्षियों) को देखकर ही आया होगा। वस्तु पर चिंतन से विचार पैदा होते हैं। पहला सवाल क्यों? फिर कैसे? उन्हें लगा कि पक्षियों के पास पंख है और उन्हें हिला सकने की प्रजाति-विशिष्ट शक्ति है जिससे वह हवा को काट कर ऊपर उड़ सकता है (चिंतन भी मनुष्य का प्रजाति-विशिष्ट गुण है, जो इसे मुल्तवी कर देता है, व्यजना में कहें तो वापस पशुकुल में शरीक हो जाता है)। मनुष्य को औजार निर्माता जीव कहा गया है। मानव इतिहास का विकास औजार निर्माण का विकास रहा है। पक्षी के पंख सा हवा काटने वाला कोई औजार बन जाय तो मनुष्य हवा में उड़ सकता है। बाकी फिर। वस्तु से विचार पैदा होता है और विचार वस्तु को बदलता है।
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