लल्लनटॉप मिजाज है तुम्हारी गज़ल का
मजाज सा अंदाज है विप्लवी अल्फाज का
गजब की पैनी धार है तुम्हारे कलम का
विद्रोह है सौंदर्य तुम्हारे रचना-कर्म का
विद्रोह का साहस हैअपने आप में श्रृजन
सरोकार हो अगर स्वजन नहीं, आमजन
काश भाषा समृद्ध होती और मैं भाषाविद होता
तुम्हारे कलम की क्रांति के कशीदे लिखता
तारीफ से फूलकर कुप्पा मत हो जाना
क्रांति अभी दूर है लगातार लिखते जाना
साधुवाद।
(कविता कृष्णपल्लवी की कविता पर कमेंट)
[ईमि:15.02.2018)
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