Thursday, February 15, 2018

किसी भी ज्ञान की कुंजी है सवाल

किसी भी ज्ञान की कुंजी है सवाल
हर एक बात पर सवाल
किसी भी बात पर सवाल
हर जवाब पर सवाल
लेकिन सर्वप्रथम
अपने आप पर सवाल
विरासत में मिली पहचान पर सवाल
पूर्वजों की लाशों का बोझ ढोने की परंपरा पर सवाल
सत्य वही जिसका हो प्रमाण
सवाल दर सवाल से आगे बढ़ता है
बढ़ता ही जाता है
ज्ञान की तलाश का सिलसिला
सवाल पर हुक्मरानों की पाबंदियों के बावजूद
हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है
सत्यापित करती है प्रकृति के गतिविज्ञान नियम
इतिहास की गाड़ी में बैक गियर नहीं होता
आगे ही बढ़ती है पाषाण युग से साइबर युग तक
छोटे-मोटे यूटर्नों के बावजूद
सवाल-दर-सवाल का न खत्म होने वाला सिलसिला
पहुंच सकता है परवरदिगार तक
और पैदा कर सकता है नास्तिकता का खतरा
और सही कहा है मुक्तिबोध ने
उठाने ही होंगे अभिव्यक्ति के खतरे।
(ईमि: 16.02.2018)



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