मैं धर्म को गाली नहीं देता, महज जन्म के संयोग की अस्मिता सेऊपर उठकर विवेकशील अस्मिता निर्माण का निवेदन करता हूं। कभी धैर्य खोकर तैश में ऊपर जैसा कमेंट लिख देता हूं, बाद में पछताता हूं क्योंकि धैर्य खोकर, तैश में आकर आक्रामक भाषा का प्रयोग एक शिक्षक को शोभा नहीं देता। ऊपर के कमेंट के लिए माफी। आक्रामक भाषा के कमेंट इसलिए डिलीट नहीं करता कि गलती का एहसास रहे। आत्मालोचना, मार्क्सवाद की एक प्रमुख अवधारणा है तथा बौद्धिक विकास की अनिवार्य शर्त।
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