मैं विज्ञान और गणित का विद्यार्थी रहा हूं और गणित पढ़ाया भी हूं. 11वीं क्लास में जब बच्चों को पढ़ाता था तो अफशोस होता था कि इन्हें किस गधे ने फॉर्मूला रटने का गणित पढ़ाया है? विज्ञान को विज्ञान की तरह वैज्ञानिक तेवर से पढ़ा जाय तो तार्किक तथा विश्लेषणात्मक अंतर्दृष्टि विकसित होती है. मुझे लगता है कि शायद करण-कारण की वैज्ञानिक समझ के ही चलते 13 साल की ही उम्र में जनेऊ तोड़कर बाभन से इंसान बनना शुरू कर दिया था. मुझे लगा था कि जात-पांत गांव के अपढ़ लोगों की बात है, शिक्षित लोग इससे उबर जाते हैं. जब इलाहाबाद विवि में बीयस्सी में प्रवेश लिया तो पहुंचते ही सास्कृतिक संत्रास झेलना पड़ा. प्रोफेसरों की लामबंदी (गिरोहबाजी) जातिगत थी. कायस्थ लॉबी के नेता 'भौतिकशास्त्री' प्रो. कृष्णाजी थे और ब्राह्मण लॉबी के नेता दूसरे भौतिकशास्त्री मुरली मनोहर जोशी जो मानव संसाधन मंत्री बनने के बाद ज्योतिष को विज्ञान के समकक्ष पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहते थे. जमात-ए-इस्लामी और आरयसयस के सारे बड़े नेता विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं. मौदूदी और गोलवल्कर दोनों विज्ञान पढ़े थे. डाभोलकर का हत्यारा तवाड़े और नफरत की खेती करने वाला तोगड़िया दोनो डॉक्टर हैं.
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