Sunday, September 4, 2016

लल्ला पुराण 180 (शिक्षा और ज्ञान 83)

Surya Shukla "आपने जेयनयू में देश द्रोही पाल रखे थे, कभी बताया क्या?" जो बात विश्वविदित है उसे बताना क्या? इन नवजवानों को पालने जाने वाले नहीं, इतिहास रचने वाले हैं. जेयनयू एक विचार बन चुका है, जो तेजी से फैल रहा है. सभी कैंपस जेयनयू बन रहे हैं, इलाहाबाद समेत. लेकिन जो ब्राह्मणवादी तो बिना बताए की कथा क्या है, तीन घंटे सत्यनारायण की कथा का महात्म्य बताते हैं, विचार, उन ब्राह्मणवादियों की समझ से परे हैं, वहां पहुंच कर संघी भी चिंतनशील बन जाता है, जेयनयू के एबीवीपी पदाधिकारियों ने इस्तीफा देने के साथ मनुस्मृति का दहन किया. कितनी बार कहा किसी शब्द का इस्तेमाल परिभाषा से करिए. देशद्रोही 2-4 वाक्यों में परिभाषित करिए. जेयनयू के जिन बच्चों को देशद्रोही कह रहे हैं, वे क्रांतिकारी स्कॉलर है. आधा मिनट नहीं टिक पायेंगे इन क्रांतिकारियों के समक्ष. ये भगत सिंह की परंपरा के और अंबेडकर की परंपरा के लड़के-लड़कियां हैं. इन्हे न तो संघी लंपटता रोक सकती है न जेल तोड़ सकती है. फक्र है कि दोनों ही उदीयमान इतिहासकारों, Anirban Bhattacharya & Umar Khalid, नामित सारे छात्र-छात्राएं मेरे अज़ीज़ हैं. अनिर्बन सभी मुद्दों पर कम-से-कम उतना ही मुखर है जितना कि उमर. लेकिन आप लोगों के संघी दिमाग में जो ब्राह्मणवादी कीड़ा जड़ जमाकर बैठा है, सारे मुझसे उमर के ही "देशद्रोह" का हिसाब मांग रहे थे, अनिर्बन का नहीं. जेल में भी पुलिस ने अनिर्बन को तोड़ने की कोशिस की थी. लेकिन क्रांतिकारी टूटता नहीं, सिर्फ शहीद होता है. याद है फांसी के पहले जब ग्रंथी भगत सिंह के पास अंतिम समय में गुरु ग्रंथ साहब पर मत्था टिकवाने गया था? काबिले तारीफ है भगत सिंह की ग्रंथी को विनम्र फटकार. क्रांतिकारी स्पेनिश कवि लोर्का फासीवादी शूटरों की आंख में आंख डालकर हंसते हुए फासीवाद के विनाश के नारे लगा रहे थे. लेकिन संघी इतिहासबोध तथ्यपरक नहीं अफवाहजन्य होता है.

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