सतयुग, त्रेता, द्वापर की कहानियां अधोगामी इतिहासबोध की गल्प कथाएं हैं. अगर महाभारत अर्थशास्त्र से पहले लिखा होता तो कौटिल्य अपने विचार रखने के पहले बाकी विचारों की विवेचना करते हैं, महाभारत का कोई जिक्र नहीं है. हां, विजीगिषू को सलाह देते हैं कि विजय अभियान के पहले उसे देवताओं की (अरुण, वरुण, इंद्र, अग्नि, कोई विष्णु-ब्रह्मा नहीं) और विपत्ति से बचने के लिए दानवों की अर्चना करना चाहिए. कंस और कृष्ण को दानवों की श्रेणी में रखते हैं. उन्ही के समकालीन मेगस्थनीज़ कृष्ण को सूरसेन(मथुरा) क्षेत्र का एक किंवदंदियों का स्थानीय नायक बताया है. जब विष्णु ही नहीं थे तो अवतरित कैसे होते?कौटिल्य का अर्थशास्त्र नेट पर उपलब्ध है. आरयस शर्मा की पुस्तक ' Perspectives on Ideas and Institutions in Ancient India से "Dharma in Kautiolya's Arthshastra" शीर्षक वाले अध्याय में उद्धरित है.
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