चंद्रशेखर आजाद के संघीकरण के प्रयास पर मेरी एक फेसबुक पोस्ट को 'हस्तक्षेप' ने छापा जिसपर एक मित्र ने कहा कि इसके संपादक अमलेंदु उपाध्याय तो मार्क्सवादी हैं. उस पर मेरा कमेंट:
जी, अमलेंदु जी मार्क्सवादी हैं, मैं भी. जो भी धर्मांधता या अंध-आस्था की बजाय तर्क-तथ्यों के आधार पर इतिहास को संपूर्णता में समझने की कोशिस करता है; आर्थिक संरचना को कानूनी, राजनैतिक, सांस्कृतिक अधिरचनाओं का निर्धारक मानता है तथा किसी भी तरह के अन्याय; भेदभाव; गैरबरारी के खिलाफ मोर्चे में शामिल होता है, वह मार्क्सवादी है, मार्क्स पढ़ा हो या नहीं.
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