Sunday, September 4, 2016

लल्ला पुराण 181 (शिक्षा और ज्ञान 85)

लखनऊ विवि में आइसा की महिला छात्र नेता के साथ एबीवीपी के नेताओं की अश्लील अभद्रता की निंदा करते हुए एक मित्र ने पूछा कि लेकिन आइसा मजदूरों की हड़ताल के समर्थन में छात्रों को क्यों लामबंद कर रही थी? उस पर:

जी, जगे जमीर का छात्र हमेशा मजदूरों के साथ खड़ा होता है. छात्र-मजदूर एकता आपकी समझ में कैसे आएगी? छात्रों के नाम भगत सिंह का संदेश पढ़ें. पंजाब में जारी दलितों के जमीन आंदोलन की शुरुआत छात्रों ने की. इस पर जनहस्तक्षेप की रिपोर्ट ईपीडब्लू, काउंटर करेंट समेत कई जगहों पर छपी है. मेरे ब्लॉग में भी है. अब आप पूछेंगे कि मैं तो प्रोफेसर हूं, दलितों के भूमि आंदोलन की फैक्ट फाइंडिंग क्यों किया? हम लोगों ने 1978 में डीटीसी के किराए में वृद्धि के खिलाफ महीने भर बोट क्लब पर आंदोलन चलाया. लाठी गया, गिरफ्तारी दी. शायद पहली बार ऐसा हुआ कि किराया वृद्धि बिल्कुल वापस हुई. दिल्ली विवि के एक छात्र ने पूछा कि जब साढ़े बारह रुपये के पास में जब हम पूरी दिल्ली घूम सकते हैं तो किराया वापसी के लिए क्यों जान दे रहे हैं. मैंने जवाब दिया था, हमारे लिए दुनिया की जनसंख्या एक से अधिक है. जहां तक एबीवीपी वालों की बीभत्स व्यवहार की बात है तो मोदी के आने के बाद से लंपटता इसका स्थाई भाव बन गया है.

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